आजादी के बाद भारत का इतिहास लिखने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकार लिखते हैं कि भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणकारी मुट्ठी भर थे|
यदि विदेशी आक्रमणकारी मुट्ठी भर थे, तो विश्व में उनके 56 देश कैसे बन गए?
अफ्रीका महाद्वीप का अधिकांश हिस्सा, संपूर्ण पश्चिम एशिया, मध्य एशिया अधिकांश मुट्ठी भर लोगों ने कब्जा कैसे कर लिया?
यदि यह विदेशी आक्रमणकारी मुट्ठी भर थे ,तो इन विदेशी मुट्ठी भर आक्रमणकारियों ने यूरोपीय ईसाई देश स्पेन तक पर कब्जा कैसे कर लिया?
यदि विदेशी आक्रमणकारी मुट्ठी भर थे, तो यूरोपीय ईसाइयों को अपने ईसाई देशों को स्वतंत्र कराने के लिए इन मुठ्ठी भर विदेशी आक्रमणकारियों से 500 वर्ष युद्ध क्यों करना पड़ा?
सत्यता यह है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने हमेशा ही बड़ी भारी संख्या में एकत्रित होकर आक्रमण किया और पूर्वाग्रह से ग्रसित मानसिकता के तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों ने क्षत्रियों को इतिहास में अपमानित करने के लिए ही विदेशी आक्रमणकारियों को मुट्ठी भर कहकर, विदेशी आक्रमणकारियों को महिमा मंडित करने का प्रयास किया|
जिन मुट्ठी भर विदेशी आक्रमणकारियों ने केवल 90 वर्षों में ही ,भारत पर आक्रमण से पहले ही 40 से अधिक देशों पर कब्जा कर लिया हो , उन्हें आप मुट्ठी भर विदेशी आक्रमणकारी कैसे कहते हैं?
1400 साल पहले जब मक्का से इंसानी खून की प्यासी इस्लाम की तलवार लपलपाते हुए निकली तो ...
एक झटके में ही...ईरान,इराक,सीरिया,मिश्र,दमिश्,अफगानिस्तान, कतर, बलूचिस्तान से ले के मंगोलिया और रूस तक ध्वस्त होते चले गए।
स्थानीय धर्मों परम्पराओं का तलवार के बल पर लोप कर दिया गया और सर्वत्र इस्लाम ही इस्लाम हो गया।
शान से इस्लाम का झंडा आसमान चूमता हुआ अफगानिस्तान होते हुए सिंध के रास्ते हिंदुस्तान पहुंचा।
पर यहां पहुंचते ही इस्लाम की लगाम आगे बढ़ के क्षत्रियों ने थाम ली जिसके कारण भीषण रक्तपात हुआ।
आठ सौ साल तक क्षत्रिय राजवंशों से ले के आम क्षत्रियों ने इस्लाम की नकेल ढीली न पड़ने दी।
इससे तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों की पूर्वाग्रही मानसिकता और उनके पूर्वाग्रही ऐतिहासिक ज्ञान की झलक मिलती है कि यह तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकार कितनी दुष्ट मानसिकता के थे|
एक सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी इस बात को समझ सकता है कि विश्व में 56 देशों का निर्माण करने वाले आक्रमणकारी मुट्ठी भर नहीं हो सकते| लेकिन आजादी के बाद पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर, भारत का इतिहास लिखने वाले ,तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों को यह सामान्य सी बात भी समझ में नहीं आई ! पता नहीं क्यों?
इन तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों का मुख्य राजनीतिक एवं सामाजिक उद्देश्य, इस देश के लोगों के समक्ष ,क्षत्रियों को खलनायक के रूप में पेश करने का रहा है !
जिन वीर योद्धाओं ने इस राष्ट्र के सभी धर्म के अनुयायियों की रक्षा के लिए अपने प्राण बलिदान कर दिए और सैकड़ों वंश इस राष्ट्र के सभी धर्म की रक्षा के लिए न्योछावर हो गए |
उन वीर योद्धाओं को इन तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों द्वारा , इतिहास की पुस्तकों में शब्दों के माया जाल से अपमानित करने का प्रयास किया गया था और वही पूर्वाग्रही इतिहास , आज भी लगातार भारत के लोगों को पढ़ाया जा रहा है |
यह बहुत ही निंदनीय है|
विशेष टिप्पणी :- विश्व के सभी राष्ट्रों में, जो इतिहास लिखा जाता है |उस इतिहास में ,उस देश के इतिहासकारों द्वारा ,उस देश के शासकों को कहीं भी अपमानित करने का प्रयास नहीं किया गया है|लेकिन भारत ही विश्व में इकलौता देश है |जहां के तथाकथित बुद्धिजीवी इतिहासकारों द्वारा इस देश के वीर योद्धाओं को अपमानित करने का और विदेशी आक्रमणकारियों को महिमा मंडित करने का प्रयास किया जाता
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