रत्नावत कछ्वाहा

                         रत्नावत कछ्वाहा
राजपूत +-सूर्य वंश-शाखा -रत्नावत कछ्वाहा।

रत्नावत - दासासिहं (दासाजी) के पुत्र रतनसिहं के वंशज रत्नावत कहलाऐ। दासाजी,नरूजी क पुत्र थे, हां हुक्म वही नरूजी जिन्है से नरूका वंश चले रहा है।

 हम यू भी कहै सकते है।की रत्नावत नरूका कछवाहा की उप शाखा है। प्राचिन अलवर राज्य(  वर्तमान मै राजस्थान का जिला है।) मे रत्नावतो के पांच मुख्य ठिकाने थे।

1.मेहरू - वर्तमान भारत के राजस्थान के टोक जिले में है।
2. निमेडा़-वर्तमान भारत के राजस्थान में जयपुर जिले के फागीं तहसील में है।

3.खेर-वर्तमान भारत में राजस्थान के अलवर जिले में है।

4.तिराजू-वर्तमान भारत के राजस्थान के टोक जिले में है।

5.केरवालिया-वर्तमान में भारत राजस्थान के बाराँ जिले मे है।
रत्नावत कछवाहा नरूका कछवाहा की ही उपशाखा है।
महाराज मेहराज जी,   (मिराजजी) के वंशज नरूजी के वशंज नरूका कहलाऐ।मेराज जी बरसिहं जी के पुत्र ओर उदयक्रण जी के पोते है।

नरूजी के पोत्र दासासिहं (दासाजी) दासाजी के  पुत्र रतनजी रतनसिहं जी के वशंज रत्नावत कहलाऐ।

  (ध्यान रखें.....यह कछवाहा की शाखा नरूका रत्नावत है। शेखावत की उपशाखा रत्नावत से अलग है)
कुछ लोग रत्नावत नरूका ओर रत्नावत शेखावत को एक समझे लेते हैं।

चूकि दोनो में पीढी वंशजो की संयोग से एक ही है।जिसमें भेद इस प्रकार है।

उदयकर्ण जी -उदयकरण जी राजा जूणसी जी के दूसरे पुत्र है।

राजा उदयकर्ण जी आमेर के तीसरे राजा थे। जिनका शासनकाल 1366 से 1388 में रहा है।
राजा उदयकर्ण जी की मृत्यु 1388में हुई।

उदयकर्ण जी के आठ पुत्र थे।
1. राव नोरोसिहं (नरसिहं,नाहरसिहं देवजी)
2. राव बरसिहं -
                   मेराजजी (मेहराज जी)
                   नरूजी
  ..               रतनसिहं,(रतनजी)
रतनसिहं जी के वशंज रत्नावत कछवाहा कहलाते है। जो नरूका की उपशाखा कहलाती है।

 3.  राव बालाजी ,
     मोकल जी
     शेखाजी
     रत्नाजी
(ध्यान रखें ,   रत्नाजी के वशंज रत्नावत शेखावत कहलाऐ।)

4. राव शिवब्रम्हा,
5. पातालजी,
6. पीथलजी,
8. नापाजी,
(ध्यान रखें राजा उदयकर्ण जी के आठवें पोत्र)

रत्नावत शेखावत- रत्नाजी के वशंज रत्नावत शेखावत कहलाऐ।

(राव रतनाजी -शेखाजी -मोकलजी-राव बालाजी-उदयकर्ण जी।:)

रतनावत कछवाहः-रतनजी के वशंज रत्नावत कछ्वाहा कहलाते है।

रतनसिहं जी -(रतनजी:)-दासासिहं(दासाजी:)-नारूजी-मेराजजी(मेहराजजी:)-बरसिहंजी(बरसिहंदेवजी:)-उदयकरणजी(उदयकर्ण जी:)
     
           रत्नावत कछवाहों का पिढी इस प्रकार है।
रतनसिहंजी (रतनजी:)-दासाजी-(दासाजी:)-नरूजी-मेराजजी-(मेहराज जी:)-बरसिहंजी(बरसिहंदेवजी:)-

उदयकरणजी(उदयकर्णजी:)-जूणसीजी(जूणसी,जानसी,
जूणसीदेवजी,:)-कुन्तलदेवजी- किलहनदेव जी-(किल्हणदेव,खिल्हनदेव:)-राजदेवजी-रावबयालजी

(बालोजी:)-मेलसीदेव-पूजनादेव (पाजून,पज्जूणा:)- जान्ददेव-हुनदेव-काकंलदेव-दुल्हरायजी(ढोलाराय:)-सोढ़देव-(सोरासिहं:)-इश्वरदास (ईशदेव:)
     
  श्री कुलदेवी जमुवाय माता

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